World Day against child labour
बाल मजदूरी
बाल
और मजदूरी दो बिल्कुल अलग शब्द
जिनका
दूर तक कोई मेल नहीं
खुशी,
हंसी, मस्ती का नाम है बचपन
जहान
की हर मुसीबत से दूर खुल के
जीने का नाम है बचपन
दादी
की कहानी और नानी के घर जाने का नाम है बचपन
जिंदगी
के हर पल में खुशी ढूंढने का नाम है बचपन
पर
क्यों फिर, बच्चों की मासूमियत से खेला जाता है
क्यों
फिर किसी छोटू को चाय की दुकान पर मेहनत करने भेजा जाता है
क्यों
सड़क पर भीख मांगते दिख जाते हैं बच्चें
क्यों
अपना पेट भरने के गिड़गिड़ाते दिख जाते हैं बच्चें
कहने
को 72 साल हो गए आजादी के
पर
अफसोस है जनाब...अब भी न मिली इन बच्चों को आजादी
समझना
होगा हमें, छोटे से फूल होते हैं बच्चें
इन्हें
खिल तो जाने दो, महक तो जाने दो
सपने
और हकीकत का फर्क समझ तो जाने दो
कोशिश
तो करनी ही होगी.. लौटाना होगा उनका बचपन
अगली
बार कोई छोटू मिले
तो , तो छोटू एक चाय की जगह कहना चल छोटू तू स्कूल चल
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